जब पाकिस्तान पर संकट (Pakistan Crisis) मंडराता है, तो वो अपने मित्र देशों और वैश्विक कर्जदाताओं के आगे कटोरा फैलाने लगता है. कुछ ऐसा ही फिलहाल भारत और पाकिस्तान के बीच चरम पर पहुंचे तनाव (Indo-PAK War Tension) के दौरान देखने को मिला है. पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत ने ऐसा एक्शन लिया कि PAK चीन से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) तक से आर्थिक मदद की गुहार लगाने लगा. इस बीच China चुप्पी साधे हुए नजर आया, तो शुक्रवार को आईएमएफ से उसे बड़ी राहत मिली है.
वैश्विक निकाय ने पाकिस्तान को मौजूदा एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (Extended Fund Facility) के तहत लगभग 1 अरब अमेरिकी डॉलर की किस्त जारी करने की मंजूरी दे दी है. पाकिस्तान बीते 7 दशकों में अब तक आईएमएफ के साथ 25 लोग एग्रीमेंट कर चुका है, लेकिन अरबों डॉलर की मदद के बावजूद इकोनॉमी का हाल जस का तस बना हुआ है.
आतंक की फैक्ट्री, इकोनॉमी बदहाल
आतंक की फैक्ट्री चलाने वाले Pakistan को बड़ी आर्थिक मदद ऐसे समय में दी गई है, जबकि भारत के खिलाफ उसकी नापाक हरकतों की दुनिया में थू-थू हो रही है. यही नहीं उसके हमलों को भी भारत की ओर से करारा प्रहार करते हुए विफल किया जा रहा है. आईएमएफ के इस फैसले की भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में आलोचना हो रही है. इतिहास पर नजर डालें, तो न सिर्फ IMF, बल्कि वर्ल्ड बैंक (World Bank) से लेकर एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) तक से उसे भारी भरकम आर्थिक मदद मिलती आ रही है, लेकिन देश के लोगों और देश की इकोनॉमी (Pakistan Economy) की हालत बद से बदतर ही होती गई है. लगातार मदद के बावजूद ये 350 अरब डॉलर के आस-पास है और इस मामले में ये भारत की 4 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी के आगे कहीं नहीं टिकता है. इसके पीछे सीधा कारण वैश्विक निकायों से मिलने वाली मदद का इस्तेमाल देश की बढ़ोतरी के बजाय आतंक के फलने-फूलने पर ज्यादा खर्च होता है.
IMF की शुक्रवार को हुई बैठक से पहले भी भारत ने यह दोहराया था कि पाकिस्तान को दी जाने वाली वित्तीय सहायता अप्रत्यक्ष रूप से उसकी खुफिया एजेंसियों और आतंकी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद की मदद करती है, जो भारत पर हमलों को अंजाम देते रहे हैं. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने फिर भी पाकिस्तान को आर्थिक मदद की मंजूरी दे दी.
1958 से अब तक इतने लोन एग्रीमेंट
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज मिलने की शुरुआत सात दशक पहले 1958 में हुई थी और पहले बेलआउट पर 8 दिसंबर, 1958 को स्टैंड-बाय अरेंजमेंट के तहत 30 मिलियन डॉलर की राशि के लिए एग्रीमेंट साइन किया गया था और तब से अब तक 25 ऋण समझौते हो चुके हैं. मतलब साफ है कि आज से नहीं बल्कि लंबे समय से Pakistan Economy की गाड़ी उधार के सहारे ही चल रही है. IMF के आंकड़ों को देखें, तो पाकिस्तान के लिए इस अवधि में कुल कुल स्वीकृत राशि 44.57 अरब डॉलर रही और इसमें से अब तक 28.2 अरब डॉलर वैश्विक निकाय ने वितरित किए हैं. इसमें से भी पाकिस्तान पर वर्तमान में आईएमएफ का बकाया 8.3 अरब डॉलर है.
Pakistan के लिए आईएंमएफ की ओर से अब तक मंजूर किए गए सबसे बड़े बेलआउट में नवंबर 2008 में स्टैंड-बाय अरेंजमेंट के तहत रहा, जो 9.78 अरब डॉलर का था. उस समय भी पाक को देश के गरीबों की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए ऋण दिया गया था और इसमें से पाकिस्तान ने 6.7 अरब डॉलर निकाले थे. वहीं सबसे हालिया लोन सितंबर 2024 में मंजूर किया गया था, जो 24 अक्टूबर 2027 तक प्रभावी है. इसके तहत 7.19 अरब डॉलर के लोन एग्रीमेंट पर साइन किया गया था. IMF द्वारा Indo-PAK War Tension के बीच पाकिस्तान के लिए स्वीकृत किया गया लोन इसकी का हिस्सा है. बता दें कि मई 2025 तक, पाकिस्तान आईएमएफ का पांचवां सबसे बड़ा कर्जदार है.
यहां से भी मिलता रहा है कर्ज
सिर्फ आईएमएफ ही नहीं, बल्कि स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, देश को तमाम वैश्विक वित्तीय संस्थानों से पर्याप्त लोन मिलता रहा है. इसमें एशियाई विकास बैंक (ADB Loan To Pakistan) सबसे बड़ा है. पाकिस्तान को वित्त FY23 में बैंक से 2.3 अरब डॉलर और FY24 में 1.3 अरब डॉलर मिले. इसके अलावा World Bankने भी वित्त वर्ष 23 में 2.1 अरब डॉलर और वित्त वर्ष 24 में पाकिस्तान को 2.22 अरब डॉलर वितरित किए. इसके बाद भी पाकिस्तान का आर्थिक संकट (Pakistan Economic Crisis) कम होता नहीं दिखा.
इन आंकड़ों से समझें PAK की बर्बादी
कर्ज: पाकिस्तान के ऊपर बाहरी कर्ज बढ़कर 130 अरब डॉलर हो गया और ये इसकी जीडीपी का करीब 42% है. इसमें सबसे बड़ा कर्ज China का है.
फॉरेक्स रिजर्व: पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार (Pakistan Forex Reserve) सिर्फ 15 अरब डॉलर है, जो तीन महीने के आयात के लिए काफी है.
गरीबी: पाकिस्तान में गरीबी दर FY23 में 40.2% से बढ़कर FY24 में 40.5% हो गई और देश में एक तिहाई से ज्यादा आबादी गरीबी में जी रही है.
महंगाई: पाकिस्तान में महंगाई का आलाम ये है कि 2023 में 38%, 2024 में औसत 24 फीसदी रही, हालांकि इसमें गिरावट आई फिर भी पाकिस्तानी लोग खाने-पीने और रोजमर्रा के सामनों के तरस रहे हैं.
बेरोजगारी: पाकिस्तान में आतंक के बढ़ते दायरे के चलते बेरोजगारी दर में तगड़ा उछाल साल-दर-साल देखने को मिला है और 2023 के मुताबिक, युवा बेरोजगारी दर 9.7% रही.
भुखमरी: पाकिस्तान 2024 के वैश्विक भूख सूचकांक (Global Hunger Index) में 127 में से 109वें स्थान पर है और 80% के करीब लोगों को स्वस्थ आहार नसीब नहीं है.
क्या ताजा मदद से सुधरेंगे हालात?
इन आंकड़ों से साफ है कि दशकों से कटोरा लेकर आर्थिक मदद मांगता जा रहा पाकिस्तान इसका उपयोग करके भी अपनी माली हालत सुधारने में नाकाम रहा है. ऐसे में IMF के ताजा लोन से इकोनॉमी में कुछ बदलाव आएगा ये कहना मुश्किल है. कई रेटिंग एजेंसियों ने भी पाकिस्तान को चेताया है कि उसकी स्थिति किसी भी युद्ध को झेलने की नहीं हैं. Moody’s ने तो यहां तक कहा है कि अगर भारत से पाकिस्तान ने पंगा लिया, तो उसके ग्रोथ रेट और फॉरेक्स रिजर्व पर भारी दबाव आएगा.