10 साल में सिर्फ आपकी उम्र नहीं बढ़ी. मुसीबतें भी बढ़ गई हैं. दिल्ली की गर्मी भी बढ़ गई है. इस साल मई में अधिकतम तापमान 46.8 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया था. जबकि दस साल पहले यानी 2014 में यह 45.5 डिग्री सेल्सियस था. यहां पर तापमान में ज्यादा अंतर नहीं दिख रहा है. लेकिन रातें गर्म होती जा रही हैं.
अब तो मिनिमम टेंपरेचर भी मैक्सिमम होता जा रहा है. रात में पारा 35.2 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया है. यह पिछले 60 साल का अधिकतम न्यूनतम तापमान है. यानी पारा निचले पैमाने पर भी आग उबल रहा है. 11 दिन से लगातार हीटवेव चल रहा है. सात दिनों से लगातार रात में गर्मी बढ़ी हुई है. 37वां दिन है, जब पारा 40 डिग्री के ऊपर है.
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अभी इतने पर रुक नहीं सकते… इस सीजन दिल्ली में पारा 12 दिन 45 डिग्री सेल्सियस के आसपास या उससे ऊपर था. 5 दिन मई में और 7 दिन जून में. अगर महसूस करने वाली गर्मी की बात करें तो यह 51 डिग्री सेल्सियस के आसपास है. अगले कुछ दिनों की बात करें तो रातें गर्म रह सकती हैं. ऐसा मौसम विभाग का अनुमान है.
पर ये तापमान इतना क्यों बढ़ा?
– पिछले एक दशक में दिल्ली में गाड़ियों की संख्या दोगुनी हो गई है. साल 2020 की गणना के अनुसार दिल्ली में 1.20 करोड़ गाड़ियां है. 2017 में 1 करोड़ गाड़ियां थीं. जिस हिसाब से गाड़ियां बढ़ेंगी, उसी हिसाब से प्रदूषण का स्तर भी बढ़ेगा.
– पिछले एक दशक में दिल्ली की आबादी बढ़कर 3.38 करोड़ से ज्यादा हो गई है. यानी जितनी आबादी उससे आधी गाड़ियां. आबादी के बढ़ने से इमारतों का इस्तेमाल बढ़ेगा. इससे शहर के अंदर ही हीट आइलैंड बनता है. 2014 में दिल्ली की आबादी 2.50 करोड़ से ज्यादा थी. अब वो 2.63 फीसदी की दर से बढ़ रही है. दिल्ली देश का सबसे ज्यादा आबादी वाला शहर है.
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– ज्यादा ट्रैफिक मतलब ज्यादा जाम. यानी ज्यादा गर्मी. अगर गाड़ियां फ्री-फ्लो चलती रहें तो तापमान में उतना असर नहीं है. लेकिन दिल्ली देश में सबसे ज्यादा जाम वाले शहरों में जाना जाता है. जहां जाम लगता है, वहां का तापमान और उसके आसपास का तापमान चेक कर लीजिए. 2-3 डिग्री सेल्सियस का अंतर दिखाई पड़ेगा.
अभी एकदम से राहत नहीं
मौसम विभाग की माने तो एकदम से राहत नहीं मिलेगी. रात में गर्मी बढ़ेगी. थोड़ी बहुत राहत बीच में मिल सकती है. लेकिन लंबे समय के लिए नहीं. 21 जून से पारा और बढ़ेगा. 23 जून से अगले हीटवेव की तैयारी कर लीजिए. महसूस होने वाली गर्मी 52 से 54 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकती है.
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सूरज ढलने के बाद भी ठंडक नहीं है
लोगों को लगता है कि शाम को सूरज ढलने के बाद रात में ठंडक मिलेगी. लेकिन ऐसा अब हो नहीं रहा है. जून में रात का तापमान औसतन 27 से 29 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए. लेकिन ये बढ़कर 36-37 हो चुका है. ये ग्लोबल वॉर्मिंग, हीट आइलैंड इफेक्ट, अल नीनो, प्रदूषण, एसी का इस्तेमाल आदि का नतीजा है.
अगर रात में भी तापमान कम नहीं होता है, तो इससे बहुत से लोगों की तबीयत खराब होगी. दिन भर के बाद रात में लोगों को राहत की उम्मीद रहती है. लेकिन बढ़ता हुआ तापमान ये राहत आने नहीं देगा. फिलहाल हीटवेव से तत्काल कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है.