सिस्टम ने ली AI इंजीनियर की जान या पत्नी की प्रताड़ना से था परेशान? जांच के लिए जौनपुर पहुंची बेंगलुरु पुलिस

कुछ नहीं बदलने वाला. ना ये सिस्टम, ना सिस्टम की सोच. ना पुलिस का रवैया. ना न्याय प्रणाली की रफ्तार. ना सुधरेगा भ्रष्टाचार. कुछ भी इसलिए नहीं बदलेगा, क्योंकि हमारे देश में एक दिन अचानक जागकर फिर लंबी गहरी नींद में सो जाने वाली सोच समाज में फैली है. जिसे क्रांति तो चाहिए लेकिन अपने घर से नहीं. इसी सोच की वजह से सिस्टम जस का तस बना रहता है. नतीजा एक दिन अचानक अतुल सुभाष नाम के AI इंजीनियर की मौत से समाज की नींद टूटती है. 

अतुल सुभाष ने खुदकुशी से 24 पन्नों का सुसाइड नोट लिखा है. 81 मिनट का वीडियो बनाया है. इनमें उन्होंने अपनी पूरी व्यथा कथा कह डाली है. उन्होंने सुसाइड नोट में लिखा, “मेरे ही टैक्स के पैसे से ये अदालत, ये पुलिस और पूरा सिस्टम मुझे और मेरे परिवार और मेरे जैसे और भी लोगों को परेशान करेगा. और मैं ही नहीं रहूंगा तो ना तो पैसा होगा और न ही मेरे माता-पिता, भाई को परेशान करने की कोई वजह होगी.” अतुल को लगता है कि उनको या उनके जैसे लोगों को न्याय मिलेगा? 

मंगलवार से ही चर्चा में आई देश की इस खबर को यदि आप अभी सुन या देख रहे हैं तो आपको बता दें कि 34 साल के इंजीनियर अतुल सुभाष ने आत्महत्या कर ली. अतुल ने खुद पर दहेज उत्पीड़न से लेकर हत्या समेत 9 मामले दर्ज करने से लेकर सुसाइड के लिए उकसाने तक का आरोप अपनी पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा, ससुर अनुराग और पत्नी के चाचा सुशील पर लगाया. इसके साथ ही फैमिली कोर्ट की जज और पेशकार तक पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया.

मौत से पहले अतुल सुभाष ने अंतिम इच्छा के तौर पर लिखा है कि उनसे जुड़े केस की सुनवाई लाइव हो ताकि लोगों को केस की सच्चाई पता चले, केस जौनपुर से बेंगलुरु कोर्ट में ट्रांसफर किया जाए, क्योंकि जज रीता कौशिक वहां केस पर असल डाल सकती हैं, जब तक सताने वालों को सजा नहीं मिल जाती अस्थियों को ना बहाया जाए. यदि अदालत इंसाफ ना दे पाए तो अस्थियों को उसी अदालत के बाहर किसी गटर में बहा दिया जाए. गुनहगारों से समझौता नहीं सजा दी जाए.

सॉरी अतुल सुभाष! कुछ भी नहीं बदलने वाला!

क्या जो आरोप लगे हैं उसके आधार पर जांच करके अतुल सुभाष को न्याय मिलेगा? या फिर कल, आज और कल या फिर कुछ दिन और सब चर्चा करके भूल जाएंगे? सॉरी अतुल सुभाष! कुछ भी नहीं बदलने वाला! जिन माता-पिता और परिवार को सिस्टम के क्रूर पंजों से बचाने के लिए अतुल अपनी जान दे गए, क्या वो बुजुर्ग अब न्याय पाएंगे? मां बेंगलुरु में श्मशान घाट पर अपने बेटे के अंतिम संस्कार के वक्त खुद को संभाल नहीं पाईं. पूरी रात रोते बीती. एयरपोर्ट पर बेहोश हो गईं.

अतुल को लगता है कि उनके जान देने से एक आत्म अवलोकन की ज्वाला सिस्टम में उठेगी और दहेज कानून का गलत इस्तेमाल रुक जाएगा. झूठे केस दर्ज करने वाला पुलिस सिस्टम सुधर जाएगा. झूठा केस दर्ज कराने वालों को तुरंत सजा मिलने लगेगी. कोर्ट में घूस के बदले केस सेटल करने वाली न्यायिक व्यवस्था सुधर जाएगी. अदालतों में तारीख पर तारीख की चक्की में पीसे जाने से लोग बचने लगेंगे. लेकिन बताइए कि क्या ऐसा हो पाएगा? क्या अतुल को न्याय मिलेगा?

जांच के लिए बेंगलुरु पुलिस जौनपुर पहुंची, होगी पूछताछ

फिलहाल बेंगलुरु में अतुल के भाई की तरफ से निकिता, उसकी मां, भाई और ताऊ के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने की एफआईआर दर्ज कराई गई है. पुलिस ने जांच शुरू कर दी है. बेंगलुरु पुलिस की एक टीम उत्तर प्रदेश के जौनपुर पहुंच चुकी है. चारों आरोपियों से पूछताछ करने वाली है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “हम सभी आरोपों की जांच कर रहे हैं. इस मामले को हर एंगल से समझा जा रहा है. प्रारंभिक जांच में अतुल और निकिता के बीच वैवाहिक कलह का पता चला है.”

इस मामले में केस दर्ज होने बाद निकिता के चाचा सुशील सिंघानिया ने कहा कि तीन साल से मुकदमा चल रहा है. अचानक क्या हो गया. हम लोग दोषी नहीं हैं. ऐसे में फिर दोषी कौन है? क्या वो दहेज उत्पीड़न से बचाने वाला कानून, जिसकी ढाल लेकर कुछ महिलाएं पति और उसके परिवार का शोषण करने लगती हैं? इसी साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने घरेलू हिंसा कानून और आईपीसी की धारा 498ए को सबसे ज्यादा दुरुपयोग किए जाने वाले कानून में से एक बताया है. 

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कोर्ट ने भी कहा था- घरेलू हिंसा कानून का दुरुपयोग होता है!

एक मामले की सुनवाई करते जस्टिस बीआर गवई ने कहा था, ”नागपुर में मैंने एक ऐसा मामला देखा था, जिसमें एक लड़का अमेरिका गया था और उसे शादी किए बिना ही 50 लाख रुपए देने पड़े थे. वो एक दिन भी साथ नहीं रहा था. मैं खुले तौर पर कहता हूं कि घरेलू हिंसा और धारा 498ए का सबसे ज्यादा दुरुपयोग किया जाता है.” जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने भी तेलंगाना के एक मामले में सुनवाई करते हुए इसके दुरुपयोग की बात कही थी.

अगस्त में बॉम्बे हाईकोर्ट ने 498ए के दुरुपयोग पर चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि दादा-दादी और बिस्तर पर पड़े लोगों को भी फंसाया जा रहा है. मई में केरल हाईकोर्ट ने कहा था कि पत्नियां अक्सर बदला लेने के लिए पति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ ऐसे मामले दर्ज करवा देती हैं. जुलाई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने 498ए का दुरुपयोग रोकने के लिए तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी. तब सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि जांच के बाद ही पुलिस गिरफ्तारी कर सकती है.  



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