समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म खान ने इंडिया गठबंधन पर मुसलमानों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है. उनकी तरफ से जारी किए गए संदेश में कहा गया है कि इंडिया ब्लाक को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी अन्यथा मुसलमानों को हालात और भविष्य पर विचार करने के लिये मजबूर होना पड़ेगा. आज़म खान फिलहाल सीतापुर जेल में बंद हैं, लेकिन रामपुर से समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष अजय सागर ने उनका संदेश जारी किया है.
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संदेश में कहा गया है कि समाजवादी पार्टी रामपुर में हुए जुल्म और बर्बादी का मुद्दा संसद में उतनी ही मजबूती से उठाए, जितना सम्भल का. क्योंकि रामपुर के सफल तजुर्बे के बाद ही संभल पर आक्रमण हुआ है. रामपुर की बर्बादी पर इंडिया गठबंधन खामोश तमाशायी बना रहा और मुस्लिम लीडरशिप को मिटाने पर काम करता रहा. इंडिया ब्लाक को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी, अन्यथा मुसलमानों को हालात और भविष्य पर विचार करने के लिये मजबूर होना पड़ेगा.
ऐसे में इंडिया ब्लाक मुसलमानों पर होने वाले हमलों और उनकी मौजूदा स्थिति पर व अपनी नीति पर खुलकर स्थिति स्पष्ट करें. यदि मुसलमानों के वोट का कोई अर्थ ही नहीं है और उनके वोट का अधिकार उनकी नस्लकुशी करा रहा है तो उन्हें विचार करने पर मजबूर होना पड़ेगा.
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संदेश में यह भी कहा गया कि बेसहारा, अलग-थलग और अकेला खाक व खून में नहाया हुआ अधिकार, इबादतगाहों को विवादित बनाकर समाप्त करना इत्यादि, केवल साजिश करने वालों, षड्यन्त्र रचने वालों व दिखावे के हमदर्दी के लिये देश की दूसरी आबादी को बर्बाद एवं नेस्तनाबूद नहीं किया जा सकता है.
आजम खान को सुनाई गई है 7 साल की सजा
बता दें कि पिछले साल फेक बर्थ सर्टिफिकेट केस में सपा नेता आजम खान, उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को दोषी करार देते हुए 7-7 साल की सजा सुनाई गई थी. फेक बर्थ सर्टिफिकेट का यह केस साल 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव से जुड़ा है. तब अब्दुल्ला आजम ने रामपुर की स्वार विधानसभा सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में उनकी जीत भी हुई थी.
चुनावी नतीजों के बाद उनके खिलाफ हाई कोर्ट में केस दाखिल कर दिया गया था. उन पर आरोप लगाया गया था कि अब्दुल्ला आजम ने चुनावी फार्म में जो उम्र बताई है, असल में उनकी उम्र उतनी नहीं है. आरोप था कि अब्दुल्ला विधायक का चुनाव लड़ने की उम्र का पैमाना पूरा नहीं करते हैं. शैक्षणिक प्रमाण पत्र में अब्दुल्ला का डेट ऑफ बर्थ 1 जनवरी 1993 है, जबकि जन्म प्रमाण पत्र में 30 सितंबर 1990 है.
यह मामला हाई कोर्ट पहुंचने के बाद इस पर सुनवाई शुरू हुई थी. अब्दुल्ला आजम की तरफ से पेश किए गए जन्म प्रमाण पत्र को फर्जी पाया गया था. इसके बाद स्वार सीट से उनका चुनाव रद्द कर दिया गया था. अब्दुल्ला पर पहले जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर पासपोर्ट हासिल करने और विदेशी दौरे करने के साथ ही सरकारी उद्देश्य के लिए दूसरे प्रमाण पत्र का इस्तेमाल करने का भी आरोप है.
इसके अलावा उन पर जौहर विश्वविद्यालय के लिए भी इसका उपयोग करने का आरोप है. अब्दुल्ला आजम के पास दो अलग-अलग जन्म प्रमाण पत्र हैं. एक 28 जून 2012 को रामपुर नगर पालिका ने जारी किया गया था, जिसमें रामपुर को अब्दुल्ला के जन्मस्थान के रूप में दिखाया गया है. वहीं दूसरा जन्म प्रमाण पत्र जनवरी 2015 में जारी किया गया था, जिसमें लखनऊ को उनका जन्मस्थान दिखाया गया है.