सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी.आर. गवई ने इंडिया टुडे/आजतक को दिए विशेष इंटरव्यू में कई मुद्दों पर खुलकर बात की. उन्होंने कहा कि उनको ‘एंटी-हिंदू’ कहा जाना बिल्कुल गलत था. उन्होंने साफ किया कि वह सरकार से कोई भी सेवानिवृत्ति के बाद की जिम्मेदारी नहीं लेंगे. हालांकि, राजनीति में आने से इनकार नहीं किया.
इंडिया टुडे के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई और इंडिया टुडे की एसोसिएट एडिटर अनीषा माथुर ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व सीजेआई से खास बातचीत की, जहां उन्होंने जूता फेंके जाने की घटना से लेकर हेट स्पीच, बुलडोजर जस्टिस, न्यायिक भ्रष्टाचार और राजनीति में जाने की संभावना तक, उन्होंने हर सवाल का स्पष्ट जवाब दिया.
‘मैं नहीं जानता घटना का मकसद’
पूर्व जस्टिस गवई ने साक्षात्कार में अपने कार्यकाल के दौरान जूता फेंके जाने की घटना पर कहा, जूता हमले से मुझ पर कोई असर नहीं पड़ा… मैं नहीं जानता उस घटना के पीछे क्या मकसद था. साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें हिंदू विरोधी कहना पूरी तरह गलत था.
उन्होंने ये भी कहा कि उस घटना के बाद वे कोर्ट में अपनी टिप्पणियों को लेकर ज्यादा सतर्क हो गए हैं, क्योंकि निर्दोष बातों को भी सोशल मीडिया पर तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा था.
उन्होंने कोर्ट की टिप्पणियों के सोशल मीडिया कवरेज पर नियमों की बात करते हुए कहा कि कोर्ट की टिप्पणियों के सोशल मीडिया कवरेज पर कुछ नियमन होने चाहिए.
बीआर गवई ने संसद से अपील की कि हेट स्पीच को रोकने के लिए ठोस कानून बनाया जाए. उन्होंने कहा, “हेट स्पीच समाज को बांटती है. इसके खिलाफ सख्त और स्पष्ट कानून की जरूरत है.”
कानून का शासन होना जरूरी
बुलडोजर जस्टिस पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, ‘ये स्पष्ट है कि बुलडोजर के शासन पर कानून का शासन हावी होना चाहिए, लेकिन इसे लागू करना जरूरी है.’
पूर्व जस्टिस गवई ने पीएमएलए मामलों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पीएमएलए मामलों में भी जेल नहीं, बल्कि जमानत पर पुनः जोर दिया.
‘ये सांसद का दायित्व है’
न्यायिक भ्रष्टाचार के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘ये संसद का दायित्व है कि वह भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच और सजा की प्रक्रिया को तेज और प्रभावी बनाए.’
बेंच फिक्सिंग के आरोपों का खंडन
वहीं, राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों में बेंच फिक्सिंग के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए जस्टिस गवई ने कहा, ‘मेरे कार्यकाल में न तो सरकार से किसी ने फोन किया, न किसी तरह का दबाव डाला गया. ट्रांसफर और नियुक्तियों में कोई हस्तक्षेप नहीं हुआ.’ उन्होंने कोलेजियम व्यवस्था को बरकरार रखने की वकालत की.
सरकारी पद नहीं करूंगा स्वीकार
इंटरव्यू में जब उनसे रिटायरमेंट के बाद सरकारी पद स्वीकार करने से जुड़ा सवाल पूछा तो उन्होंने कहा स्पष्ट करते हुए कहा, वह रिटायरमेंट के बाद राज्यपाल या राज्यसभा का कोई नामांकन स्वीकार नहीं करेंगे. हालांकि, उन्होंने राजनीति में जाने की संभावना से पूरी तरह इनकार नहीं किया.
प्रदूषण पर चिंता
अंत में उन्होंने प्रदूषण से जुड़े सवाल पर कहा कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में पर्याप्त अधिकारी मौजूद नहीं हैं और कार्यपालिका द्वारा न्यायालय के आदेशों का क्रियान्वयन आवश्यक है.
—- समाप्त —-