दिवालिया होने के कगार पर खड़े पाकिस्तान को हाल ही में एक बड़ी अच्छी खबर मिली है. पाकिस्तान ने अपने समुद्री क्षेत्र में कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस का विशाल भंडार खोजा है जिसे लेकर कहा जा रहा है कि यह बदहाल पाकिस्तान की किस्मत बदल देगा. तीन सालों तक चले सर्वे के बाद खोजे गए भंडार को दुनिया का चौथा सबसे बड़ा ऑयल एंड गैस फील्ड बताया जा रहा है. कच्चे तेल को ‘काला सोना’ भी कहा जाता है.
पाकिस्तान आसमान छूती महंगाई और कर्ज संकट में दबा जा रहा है. चीन जैसे मित्र देशों की मदद के बाद भी उसकी मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है. आर्थिक बदहाली के बीच राजनीतिक अस्थिरता भी एक बड़ा मुद्दा है. चारों ओर से परेशानियों से घिरा पाकिस्तान आए दिन आतंकवाद का सामना कर रहा है.
क्या नई खोज पाकिस्तान की बदहाल किस्मत बदल पाएगी?
पाकिस्तान को समुद्र की तली में आशा की किरण दिखी है जो भविष्य में उसके आर्थिक संकट को दूर करने में अहम भूमिका निभा सकती है.
हालांकि, डॉन न्यूज टीवी से बात करते हुए पाकिस्तान के ऑयल एंड गैस रेगुलेटर के एक पूर्व सदस्य ने कहा कि पाकिस्तान को नई खोज से आशान्वित होना चाहिए लेकिन ऐसा कभी नहीं होता कि किसी रिजर्व में जितने की उम्मीद की जाती है, उतना ही तेल और गैस निकल भी आए.
जब उनसे पूछा गया कि क्या नए भंडार से देश की ऊर्जा जरूरतें पूरी हो जाएंगी तो उन्होंने कहा कि यह तेल और गैस रिजर्व के आकार और फिर उसके रिकवरी रेट पर निर्भर करेगा.
उन्होंने कहा, ‘अगर यह गैस रिजर्व हुआ तो हम जो प्राकृतिक गैस आयात करते हैं, उसे खरीदना बंद कर देंगे. और अगर यह तेल रिजर्व हुआ तो आयातित तेल की जगह हम इसका इस्तेमाल करेंगे.’
ऊर्जा जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर पाकिस्तान
पाकिस्तान अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए बहुत हद तक आयात पर निर्भर है. साल 2023 में पाकिस्तान ने 17.5 अरब डॉलर का ऊर्जा आयात किया था. पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, आने वाले 7 सालों में पाकिस्तान के ऊर्जा आयात का बिल दोगुना होकर 31 अरब डॉलर हो जाएगा.
पाकिस्तान अपनी जरूरत का 29% गैस, 85% कच्चा तेल, 20% कोयला और 50% एलपीजी आयात करता है.
पाकिस्तान को तत्काल कोई राहत नहीं
पाकिस्तान नए रिजर्व के मिलने से भले ही उत्साहित है लेकिन इसके आगे का रास्ता इतना आसान नहीं है. पाकिस्तान के ऑयल एंड गैस रेगुलेटर के पूर्व सदस्य ने कहा कि पाकिस्तान का सपना इतना जल्दी पूरा होने वाला नहीं है.
उन्होंने कहा कि रिजर्व मिल तो गया है लेकिन इसके ड्रिलिंग की प्रक्रिया और फिर तेल या गैस निकालकर उससे राजस्व हासिल करने का रास्ता बेहद जटिल और लंबा है.
एक्सपर्ट ने कहा कि तेल और गैस रिजर्व को ढूंढने में ही 5 अरब डॉलर का भारी निवेश लग गया, तेल या गैस को निकालने में भारी पैसा खर्च हो सकता है. समुद्र से तेल या गैस निकालने में भी 4-5 साल का समय लग जाएगा. इन सभी बातों को देखते हुए साफ है कि नई खोज से पाकिस्तान को कोई फौरी राहत नहीं मिलने वाली है. कई बार इन भंडारों से तेल निकालना बहुत ही जटिल भी होता है और उसकी लागत ज्यादा होने की वजह से फायदा कम मिलता है.