‘कुर्सी बचाओ’ बजट के आरोपों पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का जवाब- कांग्रेस के दावे नौटंकी से ज्यादा कुछ नहीं

मोदी सरकार 3.0 में 4 जून को आए लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद सबसे ज्यादा चर्चा अब आम बजट की हो रही है. इसके पीछे दो कारण हैं. पहला ये कि विपक्ष बजट को लेकर सरकार पर हमलावर है तो वहीं दूसरी वजह ये है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सातवीं बार बजट पेश कर नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है. ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी वित्त मंत्री ने लगातार सात बार बजट पेश किया है. इस सबके बीच आजतक ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से खास बातचीत की. वित्त मंत्री ने इस दौरान बेबाकी से कई सवालों के जवाब दिए.

विपक्ष द्वारा मोदी सरकार 3.0 के पहले आम बजट को ‘कुर्सी बचाओ’ और ‘कट पेस्ट’ बजट के आरोपों को खारिज करते हुए इसे कांग्रेस की नौटंकी करार दिया. वित्त मंत्री ने कहा कि हमारे बजट के ऊपर वोट ऑन अकाउंट (अंतरिम बजट) के समय ही काफी काम हो चुका था. इस बजट में भी उस वोट ऑन अकाउंट के विषयों का जिक्र है, क्योंकि वो इस वित्तीय वर्ष के पहले चार महीने का बजट था और अभी 8 महीने जो बचे हैं, उनके लिए ये बजट है. उससे महत्वपूर्ण विषय है आने वाले 5 साल, जो अमृतकाल के पांच साल हैं, उसकी दिशा तय करने वाला बजट है ये. उसमें महिला का क्या स्थान होगा, गरीब के लिए क्या करेंगे, अन्नदाता के लिए क्या करेंगे, युवाओं के लिए क्या करेंगे. 

उन्होंने कहा कि विकसित भारत को ध्यान में रखते हुए ये हम वोट ऑन अकाउंट के समय ही जिक्र कर चुके थे. उसकी अब विस्तार से इस बजट में हमने बात की है. तो ‘कट पेस्ट’ का दावा करने का इसमें कोई अधिकार ही नहीं है. 2047 तक भारत अगर विकसित भारत होना है, उसके लिए जो रास्ता हम बना रहे हैं, उसमें पहले पांच साल में हम क्या करने वाले हैं, ये तो प्रधानमंत्री जी ने चुनाव से पहले ही हमारे बजट के द्वारा बोल दिया था. इसमें कट पेस्ट क्लेम करने वाले कौन हैं? क्लेम करने वालों का अधिकार बनता भी है? ये नौटंकी कांग्रेस पार्टी जनता को गुमराह करने के लिए कर रही है, उसको मैं एकदम खारिज करना चाहती हूं.

सहयोगी दलों वाले राज्यों को तवज्जो देने पर क्या बोलीं वित्त मंत्री?

आम बजट में एनडीए के सहयोगी दल जेडीयू और टीडीपी की सरकार वाले राज्य- बिहार और आंध्र प्रदेश को अधिक महत्व देने के आरोपों पर निर्मला सीतारमण ने कहा कि मैं बाकी राज्यों से ये पूछना चाहती हूं कि भारत देश में अगर एक राज्य ऐसा है, जिसकी आज तक उनकी राजधानी तक नहीं है तो क्या उनकी मदद करना गुनाह है? क्या यूपीए सरकार होती अगर आज तो आंध्र प्रदेश को इसके लिए इनकार करती? आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम में हक दिया गया है आपकी एक राजधानी होनी चाहिए. उसके लिए केंद्र सरकार मदद करेगी. क्या यूपीए सरकार इसको नकारेगी? भारत में जो कानून विभाजन हुआ, उस राज्य में राजधानी नहीं होनी चाहिए क्या? ये लोग क्या तर्क रख रहे हैं? देश आगे बढ़ेगा या नहीं? 

उन्होंने कहा कि मैंने सोचा कि इस चुनाव के द्वारा जैसे सरकार बनाने के लिए पार्टी को जनता द्वारा वोटों के जरिए चुना जाता है, उसी तरह इस बार सचमुच विपक्ष का भी चुनाव हुआ है. मतलब 50 सीटों के साथ आप शायद ताकत से संसद में मुद्दे नहीं रख पा रहे हो तो लो 40 और सीट. फिर भी जनता ने उन्हें 100 पार नहीं करने दिया. मजबूत विपक्ष का रोल आप निभाएंगे या सिर्फ नौटंकी ही करते रहेंगे? 

बिहार की बाढ़ का स्थाई समाधान करेंगे: वित्त मंत्री

नीतीश कुमार बिहार के लिए विशेष दर्जे की मांग कर रहे थे. लेकिन उनकी इस मांग को नहीं माना गया. पर बिहार को 58 हजार करोड़ की मदद दी गई है, क्योंकि ये राज्य बाढ़ प्रभावित है. तो क्या ये आगे भी जारी रहेगी? इस सवाल के जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि बाढ़ के मामले में बिहार और असम में बाढ़ दूसरी जगहों से बहने वाली नदियों के कारण आती है. दशकों से नेपाल से बांध बनाने को लेकर चर्चा चल रही है, जिससे बिहार की बाढ़ को रोका जा सकता है. लेकिन बातचीत अभी जारी है. हम देख रहे हैं कि हर साल बिहार में संपत्ती से लेकर जान-माल का नुकसान होता है. इसके ऊपर बहुत चर्चा होती है. मैंने बजट स्पीच में भी ये बात बोली कि एक टेक्निकल टीम जाएगी और चेक करेगी कि नेपाल में बांध बनाने तक के लिए कैसे बिहार में बाढ़ को रोका जाए. फिर वो टीम हमें बताएगी कि क्या कुछ किया जा सकता है. इस बाढ़ की समस्या का स्थाई समाधान करने के लिए हम काम कर रहे हैं. इसके लिए बजट दिया गया है.



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