आर्मी चीफ जनरल बघेरी और चीफ कमांंडर सलामी… ईरान के दो सबसे बड़े मिलिट्री कमांडर्स को इजरायल ने अटैक में मारा

इजरायल के हमले में ईरान को तगड़ा झटका लगा है. इजरायली अटैक में ईरानी सेना के दो बड़े मिलिट्री ऑफिसर मारे गए हैं. सबसे बड़ी बात तो यह है कि इजरायल के हमले में ईरानी सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल हुसैन बघेरी भी मारे गए हैं. इसके अलावा ईरान को दूसरा बड़ा नुकसान रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के चीफ कमांडर हुसैन सलामी की मौत के रूप में हुआ है. इजरायल के ऑपरेशन राइडिंग लॉयन में ये दो बड़े नाम हैं जो मारे गए  हैं. 

इस हमले में ईरान रिवॉल्यूशनरी के जनरल घोलमाली रशीद भी मारे गए हैं. हालांकि इजरायल ने इस हमले में ईरानी सेना के कई दूसरे कमांडरों को मारने का दावा किया है. 

इजरायल डिफेंस फोर्सेज ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि अब हम इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि ईरानी सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ, IRGC के कमांडर और ईरान के आपातकालीन कमांड के कमांडर सभी 200 से अधिक लड़ाकू विमानों द्वारा ईरान में किए गए इजरायली हमलों में मारे गए. इजरायल ने कहा कि ये वैसे लोग थे जिनके हाथ अंतरराष्ट्रीय खून से रंगे हैं.

अगर इजरायली हमले में मारे गए ईरानी वैज्ञानिकों की बात करें तो अबतक तीन परमाणु वैज्ञानिक मारे गए हैं. इनके नाम हैं डॉ फिरदायूं अब्बासी, डॉ मोहम्मद मेहदी तेहरानची और डॉ अब्दुल हामिद मिनोचहर.

ईरान ने इजरायली हमले में पुष्टि की है कि देश के सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ जनरल मोहम्मद बघेरी तेहरान मारे गए हैं. जनरल बघेरी की मौत की पुष्टि ईरान के आधिकारिक प्रसारक प्रेस टीवी ने की.

बता दें कि ईरान में चीफ ऑफ स्टाफ को सर्वोच्च रैंकिंग वाला सैन्य अधिकारी माना जाता है और वह ईरान की नियमित सेना (आर्टेश) और इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) के समन्वय और पर्यवेक्षण के लिए जिम्मेदार होता है. 

जनरल बघेरी का पारिवारिक सैन्य बैकग्राउंड का रहा है. वे अपनी क्षमता के दम पर इस पद पर पहुंचे थे. 

बघेरी की ईरान की सेना से 1979 से जुड़े रहे हैं, जब ईरान में इस्लामिक गणराज्य की स्थापना हुई थी. माना जाता है कि बघेरी उन छात्रों में से एक थे जिन्होंने 1979 में अमेरिकी दूतावास पर हमला किया था और उस पर कब्ज़ा कर लिया था. बघेरी के भाई भी इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स में थे. 

अगर IRGC के कमांडर इन चीफ  मेजर जनरल हुसैन सलामी की बात करें तो उनका जन्म  गोलपायेगान, इस्फहान में हुआ था. उन्होंने 1978 में ईरान यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में दाखिला लिया, ईरान-इराक युद्ध (1980-88) के दौरान वे IRGC में शामिल हुए और 25वीं करबला और 14वीं इमाम हुसैन डिवीजनों का नेतृत्व किया. 

 1992-97 तक वे IRGC यूनिवर्सिटी ऑफ कमांड एंड स्टाफ के कमांडर रहे, फिर 2005-09 तक IRGC वायुसेना के प्रमुख. 2019 में सुप्रीम लीडर अली खामेनेई ने उन्हें IRGC का कमांडर-इन-चीफ नियुक्त किया. सलामी अपनी गर्म बयानबाजी के लिए जाने जाते थे, उनके बयानों में अमेरिका, इज़राइल और सऊदी अरब निशाने पर होते थे. 

वे ईरान के मिसाइल कार्यक्रम और क्षेत्रीय नीतियों को दशा-दिशा देने में महत्वपूर्ण थे. 

इस हमले में ईरान को हुए नुकसान की जानकारी अभी धीरे धीरे बाहर आ रही है. आईआरजीसी से जुड़े हुए तस्नीम न्यूज द्वारा जारी एक वीडियो में पूर्वी तेहरान के नरमाक में एक तबाह सैन्य इमारत को दिखाया गया है.





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