पाकिस्तान के एक वरिष्ठ मंत्री ने यह स्वीकार किया है कि चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) से उनका मुल्क कोई लाभ नहीं उठा सका. पिछली सरकारों की वजह से चीनी निवेशकों को देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है.
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के योजना मंत्री अहसान इकबाल ने कहा कि पाकिस्तान ने ऐसे कई मौके गंवाए हैं, जब हमारी अर्थव्यवस्था लंबी छलांगे लगा सकती थी. हमने गेम-चेंजर साबित हो सकने वाले CPEC से भी लाभ नहीं उठा सके. सीपीईसी से होने वाले लाभ को भी नहीं भुना सके.
पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स (PBS) द्वारा आयोजित दो दिवसीय डेटाफेस्ट कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए योजना मंत्री अहसान इकबाल ने क्रिकेट का उदाहरण देते हुए कहा कि पाकिस्तान सीपीईसी से कोई ठोस लाभ नहीं उठा सका. उन्होंने इस विफलता के लिए पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) को जिम्मेदार ठहराया.
इकबाल ने कहा कि चीन ने मुश्किल समय में पाकिस्तान की मदद की लेकिन विपक्षी दलों ने चीनी निवेश को विवादों में घेरने की कोशिश की, जिससे चीन को पाकिस्तान से अपने कदम पीछे खींचने पड़े.
बता दें कि यह शायद पहली बार है, जब किसी मौजूदा वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री ने यह स्वीकार किया कि सीपीईसी (चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) के लक्ष्य हासिल नहीं किए जा सके.
बता दें कि सीपीईसी 21वीं सदी की सबसे महत्वाकांक्षी आर्थिक और रणनीतिक परियोजाओं में से एक मानी जाती है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बहु-अरब डॉलर की महत्वाकांक्षी योजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का प्रमुख प्रोजेक्ट माने जाने वाला 60 अरब अमेरिकी डॉलर का सीपीईसी (चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) चीन के शिनजियांग क्षेत्र को पाकिस्तान के बलूचिस्तान स्थित ग्वादर बंदरगाह से जोड़ता है. यह परियोजना चीन की वैश्विक प्रभाव बढ़ाने की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत वह विभिन्न देशों में चीन की पूंजी से बने बुनियादी ढांचे के जरिए अपनी मौजूदगी मजबूत करना चाहता है.
यह चीन की विशाल वैश्विक पहल Belt and Road Initiative का प्रमुख हिस्सा है. इसका उद्देश्य है चीन के पश्चिमी प्रांत शिंजियांग को पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से सड़क, रेल और ऊर्जा नेटवर्क के ज़रिए जोड़ना. इस गलियारे की कुल लंबाई लगभग 3,000 किलोमीटर है और इसमें हाईवे, रेलवे लाइनें और तेल-गैस पाइपलाइनें, हाइड्रो पावर और सोलर प्रोजेक्ट्स, स्पेशल इकोनॉमिक जोन (SEZs) और ग्वादर पोर्ट का विकास शामिल है.
—- समाप्त —-