‘1920 में संरक्षित इमारत, बार-बार हुए कई बदलाव…’, संभल जामा मस्जिद विवाद में ASI का हलफनामा

संभल स्थित जामा मस्जिद को लेकर तनाव जारी है. यहां मुगल शासक बाबर के समय में बनी जामा मस्जिद पर इस बात को लेकर विवाद है कि यहां पहले ‘हरि हर मंदिर’ था, जहां पर मस्जिद का निर्माण कराया गया था. इसको लेकर हिंदू पक्ष की तरफ से एक वकील ने कोर्ट सर्वे की मांग के साथ स्थानीय कोर्ट में याचिका दायर की थी.

बाद में कोर्ट ने सर्वे का आदेश जारी किया था, जिसको लेकर इलाके में तनाव पैदा हो गया था. अब इस मामले में ASI ने जो सर्वे किया उस आधार पर विभिन्न संशोधनों और हस्तक्षेपों को लेकर हलफनामा पेश किया है. इसके मुताबिक, जामा मस्जिद को 1920 में संरक्षित स्मारक घोषित किया गया था.

1920 में घोषित किया गया संरक्षित स्मारक
आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) ने संभल स्थित जामा मस्जिद में किए गए विभिन्न संशोधनों और हस्तक्षेपों को लेकर हलफनामा पेश किया है. एएसआई के अनुसार, जामा मस्जिद को 1920 में एक संरक्षित स्मारक घोषित किया गया था, लेकिन इसके बाद से स्मारक में कई बदलाव किए गए हैं. एएसआई को इस मस्जिद में नियमित निरीक्षण करने से प्रतिबंधित किया गया था, और यहां तक कि एएसआई अधिकारियों को भी निरीक्षण के उद्देश्य से मस्जिद में प्रवेश की अनुमति नहीं थी.

25 जून 2024 को किया गया सबसे हालिया निरीक्षण
हालांकि, जिला प्रशासन के सहयोग से एएसआई ने वर्ष 1998 में पहली बार इस स्मारक का निरीक्षण किया था. इसके बाद, सबसे हालिया निरीक्षण 25 जून 2024 को किया गया. एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद्, वीएस रावत द्वारा दायर हलफनामे में यह भी बताया गया है कि जब भी यहां किसी आधुनिक हस्तक्षेप की गतिविधि देखी गई, तो स्थानीय पुलिस में शिकायत दर्ज की गई और जिम्मेदारों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए.

एएसआई के अधिकारियों ने यह भी कहा कि प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत स्मारक की वर्तमान स्थिति का पता लगाना बेहद कठिन हो गया है, क्योंकि स्मारक में विभिन्न हस्तक्षेप, परिवर्धन और संशोधन किए गए हैं. एएसआई के निरीक्षण में यह भी पाया गया कि जून 2024 में किए गए कुछ हस्तक्षेपों का रिकॉर्ड मौजूद है. 
इस हलफनामे में एएसआई ने स्मारक के संरक्षण में हो रही अनियमितताओं और ऐतिहासिक धरोहर की सुरक्षा के मुद्दे को उजागर किया है.



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