दिल्ली के केदारनाथ मंदिर का उत्तराखंड में क्यों हो रहा विरोध? संत समाज के साथ कांग्रेस भी हमलावर

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बीते बुधवार को दिल्ली स्थित बुराड़ी के हिरंकी में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया. यहां उन्होंने दिल्ली में बन रहे केदारनाथ मंदिर का भूमि-पूजन कर मंदिर का शिलान्यास किया. अब इस पर विवाद शुरू हो गया है.

मंदिर के भूमि-पूजन के दौरान केंद्रीय सड़क एवं परिवहन राज्यमंत्री अजय टम्टा, महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी जी महाराज, स्वामी राजेंद्रानंद, गोपाल मणि महाराज, अल्मोड़ा सल्ट से विधायक महेश जीना, रानीखेत के विधायक डॉ. प्रमोद नैनवाल, विधायक संदीप झा, केदारनाथ धाम ट्रस्ट के अध्यक्ष सुरेंद्र रौतेला भी मौजूद थे.

ट्रस्ट के अध्यक्ष ने दिया बयान और खड़ा हो गया विवाद
 
इस कार्यक्रम में भूमि पूजन और निर्माण का कार्य देख रहा केदारनाथ धाम ट्रस्ट बुराड़ी के अध्यक्ष सुरेंद्र रौतेला ने एक अजीबोगरीब बयान दिया जिस पर विवाद खड़ा हो गया है. उन्होंने कहा कि ‘जो बुजुर्ग हैं केदारनाथ धाम नहीं जा पाते हैं वो अब दिल्ली में बाबा के दर्शन कर सकते हैं.’ बता दें कि इस मंदिर का मॉडल केदारनाथ मंदिर की तर्ज पर ही बन रहा है.

‘पौराणिक ग्रंथों में मिलता है बुराड़ी का जिक्र’

मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘दिल्ली में बाबा केदार के मंदिर के निर्माण से सभी शिव भक्तों की मनोकामना पूर्ण होगी. बुराड़ी क्षेत्र का जिक्र हमारे पौराणिक ग्रंथों में मिलता है. इस क्षेत्र का संबद्ध महाभारत काल से भी है. बुराड़ी की पावन धरती पर उत्तराखण्ड और सनातन संस्कृति के मूल परिचायक बाबा केदारनाथ जी का धाम हमारी संस्कृति और आस्था का आधुनिक प्रतीक बनेगा.’
 
उन्होंने कहा कि इस मंदिर से शिव भक्तों और सनातन संस्कृति की आस्था को बल मिलेगा. यह मंदिर श्रद्धा को जीवन, मानव को महादेव, समाज को अध्यात्म, और वर्तमान पीढ़ी को प्राचीन संस्कृति से जोड़ने का कार्य करेगा.’

‘मानवता को प्रेरणा देगा बुराड़ी का केदारनाथ मंदिर’

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार सनातन संस्कृति के उत्थान के लिए निरंतर कार्य कर रही है. चार धाम आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या हर साल निरंतर बढ़ रही है. चार धामों के साथ अन्य धार्मिक स्थलों को भी तेजी से विकसित किया जा रहा है।.चार धाम यात्रा के सुगम संचालन हेतु राज्य सरकार कृत संकल्पित है. मानसखंड यात्रा के अंतर्गत कुमाऊं क्षेत्र के पौराणिक मंदिरों का विकास कार्य जारी है. आगामी कांवड़ मेले को लेकर भी प्रदेश सरकार द्वारा तैयारियां पूर्ण की जा रही हैं. 

उन्होंने कहा सनातन संस्कृति भक्ति और श्रद्धा का पाठ पढ़ाने के साथ ही हमारे भीतर दया, करुणा, मानवता एवं राष्ट्रसेवा का भाव पैदा करती है. उन्होंने कहा कि बुराड़ी क्षेत्र में बन रहा केदारनाथ धाम पूरी मानवता को प्रेरणा देने का काम करेगा.

‘दिल्ली में केदारनाथ मंदिर का शिलान्यास धर्म के लिए अहित’

जगदगुरु अविमुखतेश्वरानंद ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि जिस धाम को जगदगुरु आदिशंकराचार्य ने बनाया उसके जैसा आप कहीं और कैसे बना सकते हैं. केदारनाथ के मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग ने कहा कि केदारनाथ धाम साक्षात हिमालय में बसा हुआ है. इसका अपना महत्व है. इसके बावजूद दिल्ली में जाकर केदारनाथ मंदिर का शिलान्यास करना धर्म के लिए अहित है.

उत्तराखंड में हो रहा विरोध प्रदर्शन

उन्होंने कहा कि केदारनाथ मंदिर की महता और अखंडता बनी रहनी चाहिए. इसकी धार्मिकता को खराब नहीं किया जाना चाहिए. केदारनाथ धाम में तीर्थ पुरोहितों, व्यापारियों एवं स्थानीय लोगों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन किया. वहीं केदारघाटी के सीतापुर में केदारघाटी होटल एसोसिएशन के बैनर तले व्यापारियों ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के खिलाफ भी प्रदर्शन किया.

होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम गोस्वामी ने कहा कि दिल्ली में भगवान केदारनाथ के प्रतीकात्मक मंदिर निर्माण से केदारघाटी की जनता में आक्रोश बना हुआ है. धामी सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया है. सरकार केदारघाटी के जनमानस की आस्था के साथ खिलवाड़ कर रही है.

कांग्रेस ने भी साधा निशाना

इस विरोध प्रदर्शन में अब राजनीतिक दल भी शामिल हो गए हैं. कांग्रेस नेता गणेश गोदियाल ने कहा, ‘मुख्यमंत्री खुद केदारनाथ से केदारशिला उठाकर वहां ले जा रहे हैं और उसका शिलान्यास कर रहे हैं. इस बात को प्रचारित किया जा रहा है कि जो व्यक्ति केदारनाथ नहीं जा पाएगा वह यहां दर्शन कर सकता है. ये हमारे हितों पर कुठाराघात है, हमारी आस्था पर कुठाराघात है इसीलिए हम इसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘अभी भी वक्त है, मुख्यमंत्री से हमारा निवेदन है कि वह अपने प्रभाव का इस्तेमाल करें. हमें उस ट्रस्ट के नाम, केदारनाथ धाम ट्रस्ट, पर आपत्ति है. केदारनाथ धाम ट्रस्ट सिर्फ केदारनाथ में हो सकता है. दूसरी बात हम उस मंदिर के स्वरूप से भी सहमत नहीं हैं. मुख्यमंत्री अपने प्रभाव का उपयोग करके इन दोनों बातों को ठीक कर दें.’



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